आंखे तेरी हो या मेरी,
बस इतनी सी ख्वाईश है
की ये कभी नम ना हो……….
आंखे तेरी हो या मेरी,
बस इतनी सी ख्वाईश है
की ये कभी नम ना हो……….
तेरे हर दुख को अपना बना लूँ..
तेरे हर गम को दिल से लगा लूँ..
मुझे करनी आती नहीं चोरी वरना..
मैं तेरी आँखों से हर आँसू चुरा लूँ..
स्याही थोड़ी कम पड़ गई वर्ना किस्मत
तो अपनी भी खूबसूरत लिखी गई थी..
मिल ही जाएगा हम को भी कोई ना कोई टूट के चाहने वाला..
अब शहर का शहर तो बेवफा नही होता…..
वो कहतें हैं , बहुत मजबूरियाँ हैं वक़्त की,
वो साफ़ लफ़्ज़ों में , ख़ुद को बेवफ़ा नहीं कहते..!!
कौन कहता है सवारने से बढती है ख़ूबसूरती…
जब दिल में चाहत हो तो चेहरे अपने आप निखर जाते है…!!
तुम खुश-किश्मत हो जो हम तुमको चाहते है..
वरना, हम तो वो है जिनके ख्वाबों मे भी लोग इजाजत लेकर आते है…!!
मेरी आँखों में झाँकने से पहले ज़रा सोच लीजिए,
जो हमने नजरे झुका ली तो क़यामत होगी,
और हमने नज़रें मिला ली तो मोहब्बत होगी।।
लोग बदनाम करते गऐ…
हमारा नाम होता गया….
उन्होंने कहा, बहुत बोलते हो, अब क्या बरस जाओगे….!!
हमने कहा, चुप हो गए तो तुम तरस जाओगे….!!