इंतहा आज इश्क़ की कर दी
आपके नाम ज़िन्दगी कर दी
था अँधेरा ग़रीब ख़ाने में
आपने आ के रौशनी कर दी
देने वाले ने उनको हुस्न दिया
और अता मुझको आशिक़ी कर दी
तुमने ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे बिखरा कर
शाम रंगीन और भी कर दी
-पयाम सईदी
इंतहा आज इश्क़ की कर दी
आपके नाम ज़िन्दगी कर दी
था अँधेरा ग़रीब ख़ाने में
आपने आ के रौशनी कर दी
देने वाले ने उनको हुस्न दिया
और अता मुझको आशिक़ी कर दी
तुमने ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे बिखरा कर
शाम रंगीन और भी कर दी
-पयाम सईदी
आपके दिल ने हमें आवाज दी हम आ गए
हमको ले आई मोहब्बत आपकी हम आ गए
अपने आने का सबब हम क्या बताएँ आपको
बैठे बैठे याद आई आपकी हम आ गए
हम है दिलवाले भला हम पर किसी का ज़ोर क्या
जायेंगे अपनी ख़ुशी अपनी ख़ुशी हम आ गए
कहिये अब क्या है चराग़ों की ज़रुरत आपको
लेके आँखों में वफ़ा की रौशनी हम आ गए
-पयाम सईदी
तेरा चेहरा है आईने जैसा
क्यों न देखूँ है देखने जैसा
तुम कहो तो मैं पूछ लूँ तुमसे
है सवाल एक पूछने जैसा
दोस्त मिल जाएँगे कई लेकिन
न मिलेगा कोई मेरे जैसा
तुम अचानक मिले थे जब पहले
पल नही है वो भूलने जैसा
-पयाम सईदी
काँटों से दामन उलझाना मेरी आदत है
दिल मे पराया दर्द बसाना मेरी आदत है
मेरा गला गर कट जाए तो तुझ पर क्या इल्ज़ाम
हर क़ातिल को गले लगाना मेरी आदत है
जिन को दुनिया ने ठुकराया जिन से हैं सब दूर
ऐसे लोगों को अपनाना मेरी आदत है
सब की बातें सुन लेता हूँ मैं चुपचाप मगर
अपने दिल की करते जाना मेरी आदत है
-पयाम सईदी
अबके बरस भी वो नहीं आये बहार में
गुज़रेगा और एक बरस इंतज़ार में
ये आग इश्क़ की है बुझाने से क्या बुझे
दिल तेरे बस में है ना मेरे इख़्तियार में
है टूटे दिल में तेरी मुहब्बत, तेरा ख़याल
कुछ रंग है बहार के उजड़ी बहार में
आँसू नहीं हैं आँख में लेकिन तेरे बग़ैर
तूफ़ान छुपे हुए हैं दिल-ए-बेक़रार में
-पयाम सईदी
हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए हैं
ज़िंदा तो है जीने की अदा भूल गए हैं
ख़ुशबू जो लुटाती है मसलते हैं उसी को
एहसान का बदला यही मिलता है कली को
एहसान तो लेते है, सिला भूल गए हैं
करते है मोहब्बत का और एहसान का सौदा
मतलब के लिए करते है ईमान का सौदा
डर मौत का और ख़ौफ़-ऐ-ख़ुदा भूल गए हैं
अब मोम पिघल कर कोई पत्थर नही होता
अब कोई भी क़ुर्बान किसी पर नही होता
यूँ भटकते है मंज़िल का पता भूल गए हैं
-पयाम सईदी
बाज़ी-ए-इश्क़ कुछ इस तरह से हारे यारो
ज़ख्म पर ज़ख्म लगे दिल पे हमारे यारो
कोई तो ऐसा हो जो घाव पर मरहम रखे
यूँ तो दुश्मन न बनो सारे के सारे यारो
बिन बात के ही रूठने की आदत है
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है
आप खुश रहें मेरा क्या है
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है