मत कर इतना गुरुर खुद पर… हमने चाहना छोड़ दिया.
तो लोग पूछना भी छोड़ देंगे.
मत कर इतना गुरुर खुद पर… हमने चाहना छोड़ दिया.
तो लोग पूछना भी छोड़ देंगे.
मेरी नासमझी की भी हद ना पूछिए दोस्तों,
उन्हें खोकर हम फिर उन जैसा ही ढूढ रहे हैं.
संगमरमर से तराशा खुदा ने तेरे बदन को,
बाकी जो पत्थर बचा उससे तेरा दिल बना दिया.
मेरी रूह तरसती है तेरी खुशबू के लिए ,
तुम कहीं और जो महको तो बुरा लगता है।
काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता,
बात करना न सही , देखना तो नसीब होता.
वक़्त को देखा हैं मैंने उड़ते हुए,
अक़्सर जब तुमसे मुलाक़ात होती हैं.
यूँ तो हर बात सहने का जिगर है ,बस एक तेरा नाम है
जो मुझे कमजोर कर देता है .
शुक्र है कि ये दिल सिर्फ़ धड़कता है,
अगर बोलता तो कयामत आ जाती.
दिल में रहने की इजाजत नहीं मांगी जाती,
ये तो वो जगह है जहाँ कब्जा किया जाता है .
मेरी़ ना रात कटती है , ना ज़िन्दगी वो पगली
मेरे वक़्त को इतना धीमा कर गयी.