आज फिर तेरे दीदार की हसरत दिल ने रखी है
अगर —–
वक्त मिले तो ख्वाबो में आ जाना !!
आज फिर तेरे दीदार की हसरत दिल ने रखी है
अगर —–
वक्त मिले तो ख्वाबो में आ जाना !!
वो मुझसे पूछती है, ख्वाब किस किस के देखते हो,
बेखबर जानती ही नही, यादें उसकी सोने कहाँ देती है ..
बिछङकर फिर मिलेगें यकिन कितना था !!!!
मेरा ख्वाब ही सही मगर हसिन कितना था !!!!
सुबह टुकड़े मिले थे कुछ तकिये के नीचे…..
ख्वाब थे जो रात को टूटे थे…..
दिल ने आज फिर तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी है…..
अगर फुरसत मिले तो ख्वाबों मे आ जाना……
तू हकीकत-ए-इश्क है या कोई फरेब..
ज़िन्दगी में आती नहीं, ख़्वाबों से जाती नहीं…!!
फिर नींद से जाग कर आस-पास ढ़ूढ़ता हूँ तुम्हें,
क्यूँ ख्वाब मे इतने पास आ जाती हो तुम….?
सुबह उठते ही तेरे जिस्म की खुशबु आई,
शायद रात भर तूने मुझे खवाब मे देखा है…
ख्वाब आँखों से गए
और नींद रातों से गयी…
वो जिंदगी से गए और
जिंदगी हाथों से गयी..!!
बिछड़कर फिर मिलेंगे यकीन कितना था…
बेशक ख्वाब ही था मगर.. हसीन कितना था….