खूश्बु कैसे ना आये मेरी बातों से यारों,मैंने बरसों से एक
ही फूल से जो मोहब्बत की है ।
खूश्बु कैसे ना आये मेरी बातों से यारों,मैंने बरसों से एक
ही फूल से जो मोहब्बत की है ।
धड़कनों को कुछ तो काबू में कर ए दिल,अभी तो
पलकें ही झुकाई है मुस्कुराना अभी बाकी है उनका.
कहाँ से लाएँ अपनी बेगुनाही के पक्के सबूत,दिल,
दिमाग, नजर सब कुछ तो तेरी कैद में हैं।
इश्क़ तो बस नाम दिया है दुनिया ने,
एहसास बयां कोई कर पाये तो बात हो .
तेरी आँखों से दो घूंट शराब क्या पी ली
दिल को चढ़ गया इश्क का जहर .
जिसकी सजा सिर्फ तुम हो ,
मुझे ऐसा कोई गुनाह करना है .
तेरी सूरत को जब से देखा है
मेरी आँखों पे लोग मरते हैं.
कुछ तुम्हारी निगाह काफिर थी,
कुछ मुझे भी खराब होना था।
दिलो जान से करेंगे हिफ़ाज़त उसकी बस
एक बार वो कह दे कि मैं अमानत हूं तेरी ।
कभी तो हिसाब करो हमारा भी ,इतनी
मोहब्बत भला कौन देता है उधार में.