Barsaat Shayari In Hindi – बता किस कोने में सुखाऊँ
बता किस कोने में, सुखाऊँ तेरी यादें,
बरसात बाहर भी है, और भीतर भी है..
Baatein Dil Ki Always Rock
बता किस कोने में, सुखाऊँ तेरी यादें,
बरसात बाहर भी है, और भीतर भी है..
हमारे शहर आजाओ सदा बरसात रहती है
कहीं आंखें बरसती है कहीं बादल बरसते हैं
टपक पड़ते हैं आँसू जब किसी की याद आती है !!
ये वो बरसात है जिसका कोई मौसम नहीं होता !!
बिजलियों ने सीख ली उनके तबस्सुम की अदा,
रंग जुल्फों की चुरा लाई…. घटा बरसात की।
बरसात तो वो गांव के कच्चे घरों की छत्तों पे हुआ करती थी
यहां शहरों में तो बस ऊँची इमारतों से पानी गिरता है
अगर मेरी चाहतो के मुताबिक जमाने में हर बात होती
तो बस मै होता तुम होती और सारी रात बरसात होती
आज बारिश में भीग कर मैंने पूराने जख्म धो डालें,
मैं फिर तैयार हूँ…
चल ऊपर वाले अब फिर से नए जख्म बनालें।
टपक पड़ते हैँ आँसू जब किसी की याद आती है..
ये वो बरसात है जिसका कोई मौसम नहीँ होता.!!
क्या रोग दे गई है ये नए मौसम की बारिश,
मुझे याद आ रहे हैं मुझे भूल जाने वाले…!!!!
रोक कर बैठे हैं कई समंदर आँखों में
दगाबाज़ हो सावन तो क्या…
हम खुद ही बरस लेंगे…