Daagh Dehlvi Ghazal – Dil Gaya Tum Ne Liya Hum Kya Kare
दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें
जानेवाली चीज़ का ग़म क्या करें
पूरे होंगे अपने अरमां किस तरह
शौक़ बेहद वक्त है कम क्या करें
बक्श दें प्यार की गुस्ताख़ियां
दिल ही क़ाबू में नहीं हम क्या करें
तुंद ख़ू है कब सुने वो दिल की बात
ओर भी बरहम को बरहम क्या करें
एक सागर पर है अपनी जिन्दगी
रफ्ता- रफ्ता इस से भी कम क्या करें
कर चुको सब अपनी-अपनी हिकमतें
दम निकलता है ऐ मेरे हमदम क्या करें
दिल ने सीखा शेवा-ए-बेगानगी
ऐसे नामुहिरम को मुहिरम क्या करें
मामला है आज हुस्न-ओ-इश्क़ का
देखिए वो क्या करें हम क्या करें
कह रहे हैं अहल-ए-सिफ़ारिश मुझसे ‘दाग़’
तेरी किस्मत है बुरी हम क्या करें