अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
– जिगर मुरादाबादी
Baatein Dil Ki Always Rock
अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
– जिगर मुरादाबादी
हक़ीक़त ना सही तुम ख़्वाब बन कर मिला करो,
भटके मुसाफिर को चांदनी रात बनकर मिला करो।
जिनकी फितरत मैं जफ़ा होती है
उनको क्या पता वफ़ा क्या होती है
हमको अब हसरत नहीं रही किसीको पाने की,
अब तो बस चाहत है मोहब्बत को भूल जाने की…
जिन्हें हो मोहब्बत का नशा,
उन्हें मयखानों की क्या ज़रूरत…
तेरी ही यादों का चेहरा चमका है …
जब भी तन्हाई के शोले भड़के हैं …. !!
कुछ इसलिये भी ख्वाइशो को मार देता हूँ,
माँ कहती है घर की जिम्मेदारी है तुझ पर
दिखा न सकी जो उम्र भर, तमाम किताबे मुझे….
करीब से कुछ चेहरे पढ़े, और न जाने कितने सबक सीख लिए…
मेरे मरने पर किसी को ज्यादा फर्क नहीं होगा..
बस तन्हाई रोएगी कि मेरी हमसफ़र चली गयी..।।
खुद से होती है जाने शिकायतें कितनी…..
जिन्हें किसी से…. कोई शिकायत नहीं होती…