Javed Akhtar Ghazal – Ab Agar Aao To Jane Ke Liye Mat Aana


अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना
सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना

मैंने पलकों पे तमन्‍नाएँ सजा रखी हैं
दिल में उम्‍मीद की सौ शम्‍मे जला रखी हैं
ये हसीं शम्‍मे बुझाने के लिए मत आना

प्‍यार की आग में जंजीरें पिघल सकती हैं
चाहने वालों की तक़दीरें बदल सकती हैं
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना

अब तुम आना जो तुम्‍हें मुझसे मुहब्‍बत है कोई
मुझसे मिलने की अगर तुमको भी चाहत है कोई
तुम कोई रस्‍म निभाने के लिए मत आना

Javed Akhtar Ghazal – Aap Bhi Aayiye Humko Bhi Bulate Rahiye Dosti Jurm Nahi Dost Banate Rahiye

आप भी आइए हमको भी बुलाते रहिए
दोस्‍ती ज़ुर्म नहीं दोस्‍त बनाते रहिए।

ज़हर पी जाइए और बाँटिए अमृत सबको
ज़ख्‍म भी खाइए और गीत भी गाते रहिए।

वक्‍त ने लूट लीं लोगों की तमन्‍नाएँ भी,
ख़्वाब जो देखिए औरों को दिखाते रहिए।

शक्‍ल तो आपके भी ज़हन में होगी कोई,
कभी बन जाएगी तसवीर बनाते रहिए।

Javed Akhtar Ghazal – Kabhi Yun Bhi To Ho Dariya Ka Sahil Ho

कभी यूँ भी तो हो
दरिया का साहिल हो
पूरे चाँद की रात हो
और तुम आओ

कभी यूँ भी तो हो
परियों की महफ़िल हो
कोई तुम्हारी बात हो
और तुम आओ

कभी यूँ भी तो हो
ये नर्म मुलायम ठंडी हवायें
जब घर से तुम्हारे गुज़रें
तुम्हारी ख़ुश्बू चुरायें
मेरे घर ले आयें

कभी यूँ भी तो हो
सूनी हर मंज़िल हो
कोई न मेरे साथ हो
और तुम आओ

कभी यूँ भी तो हो
ये बादल ऐसा टूट के बरसे
मेरे दिल की तरह मिलने को
तुम्हारा दिल भी तरसे
तुम निकलो घर से

कभी यूँ भी तो हो
तनहाई हो, दिल हो
बूँदें हो, बरसात हो
और तुम आओ

कभी यूँ भी तो हो

Javed Akhtar Ghazal – Kyun Zindagi Ki Rah Mein Majboor Ho Gaye

क्यूँ ज़िन्दगी की राह में मजबूर हो गए

इतने हुए करीब कि हम दूर हो गए

ऐसा नहीं कि हमको कोई भी खुशी नहीं
लेकिन ये ज़िन्दगी तो कोई ज़िन्दगी नहीं
क्यों इसके फ़ैसले हमें मंज़ूर हो गए

पाया तुम्हें तो हमको लगा तुमको खो दिया
हम दिल पे रोए और ये दिल हम पे रो दिया
पलकों से ख़्वाब क्यों गिरे क्यों चूर हो गए

Javed Akhtar Ghazal – Kyon Dare Zindagi Mein Kya Hoga Kuch Na Hoga To Tajurba Hoga


क्‍यों डरें ज़िन्‍दगी में क्‍या होगा
कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा

हँसती आँखों में झाँक कर देखो
कोई आँसू कहीं छुपा होगा

इन दिनों ना-उम्‍मीद सा हूँ मैं
शायद उसने भी ये सुना होगा

देखकर तुमको सोचता हूँ मैं
क्‍या किसी ने तुम्‍हें छुआ होगा

Javed Akhtar Ghazal – Jate Jate Vo Mujhe Achchhi Nishani De Gaya

जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया

उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी दे गया

सब हवायें ले गया मेरे समंदर की कोई
और मुझ को एक कश्ती बादबानी दे गया

ख़ैर मैं प्यासा रहा पर उस ने इतना तो किया
मेरी पलकों की कतारों को वो पानी दे गया

Javed Akhtar Ghazal – Tamanna Phir Machal Jaye Agar Tum Milne Aa Jao

तमन्‍ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ
यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

मुझे गम है कि मैने जिन्‍दगी में कुछ नहीं पाया
ये ग़म दिल से निकल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे
ज़माना मुझसे जल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

ये दुनिया भर के झगड़े, घर के किस्‍से, काम की बातें
बला हर एक टल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ

Javed Akhtar Ghazal – Yahi Halaat Ibtida Se Rahe Log Humse Khafa Khafa Se Rahe

यही हालात इब्तदा से रहे
लोग हमसे ख़फ़ा-ख़फ़ा-से रहे

बेवफ़ा तुम कभी न थे लेकिन
ये भी सच है कि बेवफ़ा-से रहे

इन चिराग़ों में तेल ही कम था
क्यों गिला फिर हमें हवा से रहे

बहस, शतरंज, शेर, मौसीक़ी
तुम नहीं रहे तो ये दिलासे रहे

उसके बंदों को देखकर कहिये
हमको उम्मीद क्या ख़ुदा से रहे

ज़िन्दगी की शराब माँगते हो
हमको देखो कि पी के प्यासे रहे

Javed Akhtar Ghazal – Har Khushi Mein Koi Kami Si Hai Hasti Aankhon Mein Bhi Nami Si Hai

हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है
हँसती आँखों में भी नमी-सी है

दिन भी चुप चाप सर झुकाये था
रात की नब्ज़ भी थमी-सी है

किसको समझायें किसकी बात नहीं
ज़हन और दिल में फिर ठनी-सी है

ख़्वाब था या ग़ुबार था कोई
गर्द इन पलकों पे जमी-सी है

कह गए हम ये किससे दिल की बात
शहर में एक सनसनी-सी है

हसरतें राख हो गईं लेकिन
आग अब भी कहीं दबी-सी है

Javed Akhtar Ghazal – Aaj Maine Apna Phir Sauda Kiya Aur Phir Main Door Se Dekha Kiya


आज मैंने अपना फिर सौदा किया
और फिर मैं दूर से देखा किया

ज़िन्‍दगी भर मेरे काम आए असूल
एक एक करके मैं उन्‍हें बेचा किया

कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी
तुम से क्‍या कहते कि तुमने क्‍या किया

हो गई थी दिल को कुछ उम्‍मीद सी
खैर तुमने जो किया अच्‍छा किया