नज़ाकत तुम में है…*
इबादत तुम में है…
शरारत तुम में है…
कशिश भी तुम में है…
मुझ में भी मैं कहाँ बचा अब…
*मेरा जो कुछ भी है, सब तुम में है।
Baatein Dil Ki Always Rock
नज़ाकत तुम में है…*
इबादत तुम में है…
शरारत तुम में है…
कशिश भी तुम में है…
मुझ में भी मैं कहाँ बचा अब…
*मेरा जो कुछ भी है, सब तुम में है।
“जब” से “वो” हमें “जगा” गए “हम” “उम्र” भर “सो” न सके,
“जाने” क्या “कशिश” थी उनमे,
“किसी” और को “हम”
“अपना” “बना” न सके…!!